28 नवम्बर, 2013
सुधरे बच्चों को तो आपने काम पर लगा दिया और सम्मानपूर्वक जीने लायक उपार्जन भी कर रहे हैं ये लोग, लेकिन अब अपने बिगड़े बच्चों को भी संभल लो नीतीश जी, वरना इतिहास आपको एक अच्छे अभिभावक के रूप में कभी याद नहीं करेगा। अच्छा अभिभावक वही होता है जो अच्छे बच्चों को तो सही राह दिखाए ही, साथ ही साथ शरारती बच्चोँ को भी सही राह पर लाये।
कभी बिहार जाने के नाम पर बाहरी लोग डर के मारे काँप से जाते थे। बिहार में हत्या, अपहरण, बलात्कार, चोरी डकैती, लूट आदि एक उद्योग के रूप में स्थापित हो गया था। घर से शाम को निकलते हुए डर सा लगता था। नौजवानों को नौकरी नहीं मिलती थी और जो नौकरी में थे उनको 3-3, 4-4 महीने पर वेतन मिलता था। लोगों का प्रदेश से पलायन होना शुरू हो गया। लोग जैसे तैसे अपनी आजीविका चलाते थे। सड़कें बदहाल थीं। ट्रक ड्राईवर आपस में हंसी मजाक में कहते थे कि जब गड्ढों में सड़कें दिखने लगे तो समझना कि बिहार आ गया।
लेकिन अब हालात बहुत सुधरे हैं, बिहार में प्रगति होने लगी है। लोगों को काम मिलने लगा है। अपराधों में भी बहुत हद तक कमीं आई है। सड़कें, पुल बनने लगे हैं। कुल मिलाकर बिहार में विकास दिखने लगा है। घूसखोरी एवं भ्रष्टाचार पर भी लगाम लगा है बहुत हद तक। लोग ख़ुशी से अपना जीवन यापन करने लगे हैं।
परन्तु एक चीज है जो बिहार की प्रगति में बाधक है एवं जिसके कारण देश विदेश में बिहार की छवि ख़राब हो रही है। वो है, प्रदेश में व्याप्त माओवादी गतिविधियाँ। बे-वजह मासूमों का खून बहाने में ही इनकी रूचि रहती है। लोगों से लेवी के नाम पर रंगदारी वसूलना, लूट पाट करना, अच्छे कामों में अड़ंगा डालना इनका काम है। कहते हैं ये सताये हुए लोगों का समूह है, लेकिन ये लोग तो खुद ही दूसरों को सता रहे हैं।
कहीं लाखों करोड़ों रूपये से पुल पुलिया बन रहा होता है, ये बम का धमाका करके उड़ा देते हैं। कभी रेलवे लाइन ही उड़ा देते हैं। कभी बैंक एवं अन्य सरकारी प्रतिष्ठान पर हमला बोल देते हैं। वस्तुतः विध्वंसात्मक गतिविधियों में लिप्त रहना ही इनका काम है। जिन इलाकों में इनका वर्चस्व हैं वहाँ लोग आने जाने में डरते हैं।
किसी ही सभ्य समाज के लिए ये अच्छी बात नहीं है, नितीश जी। इनसे निपटने के लिए एक खास रणनीति बनानी होगी। इस तरह के मामले के विशेषज्ञ पुलिस अधिकारीयों को इसकी जिम्मेदारी देनी होगी। इनको समझाने की बहुत कोशिशें कर ली आपने। इनको बहुत मौका दिया समाज की मुख्य धारा में आने के लिए। अब तो निर्णयात्मक लड़ाई होनी चाहिए। आपके द्वारा किये गए विकास के सारे कार्य शून्य हैं अगर इनलोगों पर काबू नहीं पाया गया।
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