7 सितम्बर, 2013
नवम्बर में चुनाव होने वाले हैं दिल्ली विधानसभा के। हर चुनाव की भांति इस बार भी भाजपा उम्मीद में है कि इस बार कांग्रेस से लोग रूठे हुए हैं तो हमारी सरकार ही बनेगी। 1998 में दिल्ली की सत्ता से बेदखल होने के बाद जब कभी भी विधानसभा चुनाव हुए, भाजपा इसी उम्मीद में रही। जनता का दिल जीतने की कभी कोशिश नहीं की। कभी भी जनता के दुःख दर्द को विधानसभा में जोर शोर से नहीं उठाया। किसी भी भ्रस्टाचार के मामले का पुरजोर विरोध नहीं किया। बस हमें दिखाने के लिए मशक्कत करते रहे।
हर चुनाव में बिल्ली के भाग्य से छींका टूटने का इंतज़ार करते रहे ये लोग। इस बार नहीं मिली सत्ता तो अगली बार हम ही आयेंगे। यही सोचकर 2003 और 2008 का चुनाव भी हार गए और 2013 में भी यही हाल है। क्योंकि अभी तक तो दिल्ली में कांग्रेस या भाजपा दो ही राजनितिक दल थे। लेकिन इस बार सपा, बसपा, जदयू और तो और नई-नई गठित हुई आम आदमी पार्टी भी चुनाव मैदान में पूरे दम-ख़म से उतरने को तैयार है। कहा तो यह भी जा रहा है कि इस बार भाजपा तो छोड़ो कांग्रेस की भी राह आसान नहीं है।
लेकिन भाजपाई हैं कि पुरानी रट लगाये हुए हैं, इस बार हम। एमसीडी में भाजपा इतने सालों से सत्ता पर काबिज है, लेकिन कभी भी कार्यों से जनता को इतना खुश नहीं किया कि उन्हें हम दिल्ली की सत्ता भी सौंप दें। किस प्रकार की सेवा कर रहे हैं दिल्ली वासियों की ? दिल्ली में पार्किंग की समस्या तो जगजाहिर है। नालों की साफ़-सफाई तो ऐसी है कि हर साल हल्की सी बारिश में ही सडकों पर पानी लग जाता है। वैसे दावा तो एमसीडी हर मानसून के पहले करती है कि इस बार नालों की सफाई दुरुस्त है और पिछले साल की तरह सडकों पर घुटने भर पानी नहीं लगेगी। लेकिन हर साल पिछले साल का रिकार्ड टूटता है। इस बार तो माननीय न्यायालय ने भी फटकार लगाई है लेकिन प्रगति क्या है, हम लोग देख ही सकते हैं।
साफ-सफाई का सबसे बड़ा सबूत है दिल्ली में हर साल डेंगू का विकराल रूप। अरे, सफाई होती तो डेंगू के मच्छर क्यों पैदा होते ? क्या कहा ? डेंगू के मच्छर साफ़ पानी में ही पैदा होते हैं ? जैसे भी पैदा हो, अगर देश की राजधानी में डेंगू से इतने सारे लोग मरते हैं तो इसकी जिम्मेवारी सम्बंधित एजेंसी की ही होगी।
अब एमसीडी की कार्यों को देखकर इनको विधानसभा चुनाव में कितने वोट मिलेंगे ? भाजपा से मुझे भी हमदर्दी है, वाजपेयी जी का बड़ा प्रशंसक रहा हूँ, लेकिन भाजपा वालों सिर्फ कांग्रेस के नकारात्मक वोट से ही जीतने की उम्मीद न करो, अपने लिए सकारात्मक वोटों का भी जुगाड़ करो।
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